761. सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।
762. कुछ इसलिए भी खामोश रहती हूँ कि जब बोलती हूँ तो धजियाँ उड़ा देती हूँ |
763. हजारों चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको पर दिल भी जिद पे अड़ा था कि अगर वो नहीं, तो उसके जैसा भी नहीं |
764. जिसे आज मुजमे हजार एब नजर आते हे, कभी वही लोग हमारी गलती पे भी ताली बजाते थे |
765. दुनियादारी की चादर ओढ़ी है पर जिस दिन दिमाग सटका ना, इतिहास तो इतिहास भूगोल भी बदल देंगे।
766. मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना, पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूँ |
767. तू नया नया है बेटे मैने खेल पुराने खेले है जिन लोगो के दम पर तू उछलता है वो मेरे पुराने चेले है |
768. फिर याद आई उसकी फिर मैँ सब भूल गया |
769. सजा देनी हमे भी आती है ओ बेखबर, पर तू तकलीफ से गुज़रे, ये हमे मंजूर नहीं |
770. तू सचमुच जुड़ा है अगर मेरी जिंदगी के साथ तो क़ुबूल कर मुझे,मेरी हर कमी के साथ |
771. हर गुनाह कबूल हैं हमें, बस सजा देने वाला “बेगुनाह”हो |
772. हथियार तो शोंक के लिए रखे जाते हैं खौफ के लिए तो आँखें ही काफी हैं।
773. बहुत देखा है ज़िन्दगी में समझदार बनकर पर ख़ुशी हमेशा पागल बनकर ही मिली है।
774. दो चार लफ्ज प्यार के लेके मैं क्या करू”देनी है तो” वफ़ा की मुकम्मल किताब दे “ |
775. क्रोध आने पर चिल्लाने के लिए ताकत नहीं लगती बल्कि शांत होकर चुप रहने में लगती है।
776. ये तो अच्छा है कि ” दिल ” सिर्फ सुनता है अगर कहीं बोलता होता तो ” क़यामत ” आ जाती।
777. मेरे बाद किसी और को हमसफ़र बनाकर देख लेना तेरी ही धड़कन कहेगी कि उसकी वफ़ा में कुछ ओर ही बात थी।
778. लोग आपकी मजबूरी समझते हैं तभी तो उसका फायदा उठाते हैं |
779. दुनिया की सबसे बड़ी ग़लतफहमी : जब नसीब चलता है तो लोगों को गुमान हो जाता है कि उनका दिमाग चल रहा है |
780. शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे, वरना बुरे की तरफ देखता कौन है |